नई दिल्ली | Goa Bar Controversy : लगातार बार विवाद बढ़ने के बाद अब स्मृति ईरानी ने आखिरकर अपनी चुप्पी तोड़ ली है. इसके पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कांग्रेस नेताओं जिनमें जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा के साथ अन्य ने भाजपा नेता स्मृति ईरानी और उनकी बेटी पर झूठे और व्यक्तिगत हमले की साजिश रची. कोर्ट ने कहा कि वो न तो गोवा में रेस्तरां की मालिक हैं और न ही उन्होंने कभी वहां भोजन और पेय पदार्थों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जैसा कि आरोप लगाया गया था. हाई कोर्ट ने साफ किया कि कांग्रेस के तीन नेताओं द्वारा दिए गए बयान बदनाम करने वाली प्रकृति के और दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए फर्जी प्रतीत होते हैं. जिनका मकसद जानबूझ कर ईरानी को व्यापक सार्वजनिक उपहास का पात्र बनाना और भाजपा नेता व उनकी बेटी के नैतिक चरित्र व सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना था.
Note @ndtv’s misleading headline👇 Delhi HC order today says unequivocally that #SmritiIrani and her daughter don’t own the Goa restaurant. The channel changes that to “don’t seem to own” to muddy a clear cut HC order. This plumbs the depths of journalism https://t.co/zK4KiQCOo6
— Minhaz Merchant (@MinhazMerchant) August 1, 2022
Goa Bar Controversy : उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी कांग्रेस के तीन नेताओं के खिलाफ महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी द्वारा दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे में उसके समक्ष रखे गए दस्तावेजों पर गौर करते हुए की. उच्च न्यायालय का 29 जुलाई को दिया गया आदेश सोमवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. अदालत ने अपने आदेश में दीवानी मानहानि मामले में तीनों कांग्रेसी नेताओं को समन जारी किए थे. उच्च न्यायालय ने उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा है.
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Congress propaganda busted. Smriti Irani, or her daughter, never applied or got any license for Goa restaurant, says Delhi High Court https://t.co/Yt0GCxf5lw
— OpIndia.com (@OpIndia_com) August 1, 2022
Goa Bar Controversy : न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने अपने 14 पन्नों के आदेश में कहा कि मैं रिकॉर्ड में रखे गए विभिन्न दस्तावेज, खासकर, गोवा सरकार, आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा 21 जुलाई 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस देखा है, जो किसी एंथोनी डिगामा के नाम है, न कि वादी (ईरानी) या उनके परिवार के सदस्यों को. उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट दिखता है कि कोई ऐसा लाइसेंस नहीं है, जो कभी वादी या उसकी बेटी के पक्ष में जारी किया गया हो. वादी और उसकी बेटी रेस्तरां की मालिक नहीं हैं. वादी ने प्रथमदृष्टया यह भी स्थापित किया है कि उसने (ईरानी) या उसकी बेटी ने कभी लाइसेंस के लिये आवेदन नहीं किया था .
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