मुंबई | Bombay High Court : क्रिकेट के मैदान में पीने के पानी की व्यवस्था करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय कुछ रोचक लेकिन गंभीर टिप्पणियां की. कोर्ट ने गुरूवार को कहा कि अगर माता-पिता अपने बच्चों को क्रिकेट खेलने के उपकरण (क्रिकेट कीट) दिला सकते हैं तो वे पीने के पानी की बोतल भी खरीद सकते हैं. बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश एम एस कार्णिक की खंडपीठ उस जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें क्रिकेट के मैदानों में पीने के पानी और ‘टॉयलेट’ की बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर अंसतोष जताया गया है. पीठ ने ये भी टिप्पणी की कि क्रिकेट तो ऐसा खेल भी नहीं है जो मूल रूप से भारत का हो. इसके बाद कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी.
The Bombay High Court on plea against Mumbai Cricket Association (#MCA), BCCI and civic bodies for hygiene facilities like toilets, water & medical assistance on public grounds.
“Why don’t you bring water from your home?You want to play cricket which is not our game..@BCCI pic.twitter.com/bGDMMA1PEN
— Live Law (@LiveLawIndia) July 21, 2022
Bombay High Court : जानकारी के अनुसार राहुल तिवारी नाम के एक वकील द्वारा दायर की इस जनहित याचिका में दावा किया गया कि राज्य में कई क्रिकेट मैदानों में पीने के पानी और ‘टॉयलेट’ जैसी बुनियादी सुविधायें नहीं हैं. जबकि इन पर उभरते हुए और पेशेवर खिलाड़ी क्रिकेट खेलते हैं. इसमें दक्षिण मुंबई का एक मैदान भी शामिल है जिसकी देखरेख मुंबई क्रिकेट संघ करता है. पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र के कई जिलों में आज तक भी हर रोज पीने के पानी की ‘सप्लाई’ नहीं होती. दत्ता ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि औरंगाबाद को हफ्ते में केवल एक बार पीने का पानी मिलता है. आप (क्रिकेटर) अपने पीने का पानी क्यों नहीं ला सकते ? आप क्रिकेट खेलना चाहते हो जो हमारा खेल है भी नहीं. यह मूल रूप से भारत का खेल नहीं है.
“First let us ensure villages in Maharashtra get water:” Bombay High Court on plea for potable water on cricket grounds
report by @Neha_Jozie https://t.co/4fBsG5a6Cm
— Bar & Bench (@barandbench) July 21, 2022
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Bombay High Court : दत्ता ने कहा कि आप (क्रिकेटर) भाग्यशाली हो कि आपके माता-पिता आपको ‘चेस्ट गार्ड’, ‘नी गार्ड’ और क्रिकेट के लिये सभी जरूरी चीजें खरीद सकते हैं. अगर आपके माता-पिता आपको यह सब सामान दिला सकते हैं तो वे आपको पीने के पानी की बोतल भी खरीद सकते हैं. जरा उन गांव वालों के बारे में सोचो जो पीने का पानी खरीद नहीं सकते. अदालत ने कहा कि ये ‘लग्जरी’ वस्तुएं हैं और प्राथमिकता की सूची में यह मुद्दा 100वें स्थान पर आयेगा. अदालत ने कहा कि क्या आपने (याचिकाकर्ता) ने उन मुद्दों की सूची देखी है जिनसे हम जूझ रहे हैं? अवैध इमारतें, बाढ़। सबसे पहले हम सुनिश्चित करें कि महाराष्ट्र के गावों को पानी मिलने लगे.
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