250 साल पुराना पेड़ जो अपने आप में जंगल है, दुनिया में सबसे बड़ा बरगद…

World's Biggest Tree

नई दिल्ली | World’s Biggest Tree : सोशल मीडिया आने के बाद से लोगों को अलग-अलग जगहों पर अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिल जाता है. पहले ऐसा नहीं था लोगों को अनोखी चीजें जानने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था. आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि भारत में एक ऐसा पेड़ भी है जो वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. आपने लोगों को कुछ अलग और हटकर करने के बाद वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते देखा होगा लेकिन यह सच है कि इस पेड़ को वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त हुआ है. ऐसा होने के पीछे दो कारण हैं पहला कारण यह है कि यह पेड़ करीब ढाई सौ साल पुराना है और दूसरा यह कि यह अपने आप में दुनिया का सबसे बड़ा पेड़ है. तो आइए जानते हैं इस पेड़ के बारे में और थोड़ी विस्तृत जानकारी.…

World's Biggest Tree :
Image Source : TOI

World’s Biggest Tree : सबसे पहले यह बता दें कि इस पेड़ को कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन में देखा जा सकता है. इस संबंध में जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार इस पेड़ को यहां 1787 में लगाया गया था. आज इस पेड़ की जड़े इतनी फैल गई है कि यह अपने आप में एक पूरा जंगल जैसा दिखाई देता है. अगर आप पेड़ के नीचे खड़े हो जाए तो आपको ऐसा ही लगेगा कि आप किसी जंगल में आ गए हैं. आपको इस बात का विश्वास ही नहीं होगा कि आप सिर्फ एक पेड़ के नीचे खड़े हैं. इस पेड़ की लंबाई और चौड़ाई की बात करें तो यह पेड़ करीब 24 मीटर ऊंचा है और 14500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. जैसा कि होता भी है बरगत के पेड़ में कई जटाएं निकल जाती हैं इस पेड़ में 3000 से अधिक जटाएं हैं जो अब जड़ों में बदल गए हैं.

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World's Biggest Tree :
Image Source : Social Media

World’s Biggest Tree : इस पेड़ को सबसे ज्यादा 1884 और 1925 के बीच कोलकाता में आए चक्रवाती तूफानों के कारण हुआ था. इस तूफान के दौरान लंबे समय तक इसकी शाखाएं पानी में रहीं जिस कारण इसमें फफूंद लग गई. आज भी या पेड़ बॉटनिकल गार्डन में लगा हुआ है और दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र है. एक पेड़ पर आपको पक्षियों की 80 से ज्यादा प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी जो अपने आप में एक अनूठा अनुभव होगा. अब यह भी जान लें कि 1987 में भारत सरकार ने इस पेड़ के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था जिस पर बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया का प्रतीक लगाया गया था. इस पेड़ की देखभाल के लिए 13 लोगों की एक विशेष टीम बनाई गई है और समय-समय पर इसकी जांच भी की जाती है ताकि यह स्वस्थ बना रहे.

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