‘अग्निपथ’ पर राजनाथ सिंह ने सांसदों समझाया, फिर भी वापल लेने की हुई मांग…

Agneepath Scheme 2022

नई दिल्ली | Agneepath Scheme 2022 : एक के बाद एक केंद्र सरकार की योजनाओं पर हो रहे हंगामें के बाद अब ये एक ट्रेंड सा बनता जा रहा है. भारत सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ स्कीम को लेकर भी कुछ यहीं स्थिति बनी हुई है. ऐसे में अभी भी सरकार के द्वारा लगातार इस मामले में विपक्ष के नेताओं के साथ ही देश के युवाओं को इस योजना को समझाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. संसद के मानसून सत्र से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को रक्षा संबंधी संसदीय परामर्श समिति के सदस्यों को सैन्य भर्ती के लिए लायी गयी अग्निपथ योजना के बारे में प्रस्तुति दी. कुछ विपक्षी सांसदों ने इस योजना को तत्काल वापस लेने की मांग की.

Agneepath Scheme 2022 : जानकारी के अनुसार 2 घंटे तक चली बैठक में राजनाथ सिंह के संबोधन के बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने अपनी बात रखी. कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और तृणमूल कांग्रेस ने नयी भर्ती योजना पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि इसे वापस लेने की मांग की. कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहित ने विशेषज्ञों एवं उत्कृष्ट सैनिकों द्वारा इसकी आलोचना किये जाने का हवाला दिया और कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे बलों का मनोबल प्रभावित होता है और भ्रम की स्थिति पैदा होती है.


Agneepath Scheme 2022 : शक्ति सिंह ने कहा कि योजना को पहले पायलट परियोजना के तौर पर शुरू किया जाए और जो लोग प्रशिक्षित हों..उन्हें सैन्य बलों में भर्ती किया जाए. वहीं गोहिल ने कहा कि विभिन्न रूपरेखाओं पर काम करने के बाद ही इसे पेश किया जाना चाहिए. कांग्रेस नेता का राकांपा की सुप्रिया सुले और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने समर्थन किया. इन सांसदों ने रक्षा मंत्री को एक ज्ञापन भी दिया और इस योजना को वापस लेने की मांग की. लेकिन कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया. बता दें कि तिवारी सार्वजनिक तौर पर अगनिपथ योजना की सराहना कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि यह जरूरी सुधार है क्योंकि दुनिया के अन्य देशों के सशस्त्र बलों ने ऐसी योजना पेश की है.

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Agneepath Scheme 2022 : इस प्रस्तुति के पीछे का कारण 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले विपक्षी नेताओं की चिंताओं को दूर करना है. समिति के सांसदों को प्रस्तुति देने के बाद रक्षा मंत्री एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने कई सवालों के जवाब भी दिये. बता दें कि 14 जून को योजना की घोषणा किये जाने के बाद कई राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन की खबरें आई थी. कई विपक्षी दलों ने योजना के वापस लेने की मांग की. भारतीय वायु सेना ने हाल में कहा कि उसे इस योजना के तहत 7.5 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं. पंजीकरण की प्रक्रिया 24 जून को शुरू हुई.

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