Maharashtra Political Drama : पिछले चार-पांच दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस वक्त अगर देश में कोई 2 सबसे चर्चित नाम है तो पहला एकनाथ शिंदे का है और दूसरा शिवसेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का. उद्धव ठाकरे के बारे में तो पूरी दुनिया को पता है कि वह बाला साहब ठाकरे के बेटे हैं और एक राजनीतिक परिवार से नाता रखते हैं. लेकिन अगर आपको एकनाथ शिंदे के बारे में जानकारी नहीं है तो आपको इनके बारे में जरूर जानना चाहिए. इनके बारे में आपको जानना है इसलिए जरूरी है क्योंकि काफी छोटे स्तर से इन्होंने शुरुआत की थी वह महज एक ऑटो ड्राइवर थे और आज उन्होंने उद्धव ठाकरे की ट्रेन को पटरी से उतार दिया है.

Maharashtra Political Drama : एकनाथ शिंदे की बगावत न सिर्फ शिवसेना से है बल्कि ठाकरे परिवार से भी है. उनका मानना है कि जब से शिवसेना कांग्रेस और रास्ता के समर्थन से सत्ता में आई है तब से पार्टी का कद घटता जा रहा है और वह हिंदुत्व से मुंह मोड़ती जा रही है. उनका यह भी कहना है कि शिवसेना की तुलना में कांग्रेस और एनसीपी का कद लगातार प्रदेश में बढ़ा है. भारत की आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र में राजनीतिक भूचाल लाने वाले एकनाथ शिंदे एक समय में ऑटो ड्राइवर रह चुके हैं. उन्होंने काफी छोटे स्तर मतलब की ऑटो चालक यूनियन से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. बता दें कि वह मुंबई के ठाणे इलाके में ऑटो चलाया करते थे. पहली बार 1997 में वे चर्चा में आए जब उन्होंने थाने मुंसिपल कॉरपोरेशन के लिए कॉरपोरेटर यानी पार्षद का चुनाव लड़ा और वे जीत गए. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और समय के साथ ही उनका कद भी लगातार बढ़ता गया.

कनाथ शिंदे कभी भी मीडिया के फ्रंट पेज पर नहीं रहे क्योंकि इसके पहले उन्होंने कुछ ऐसा कारनामा नहीं किया था. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब उनका राजनीति से मोहभंग हो गया था. यह तब हुआ था जब उनके दो बच्चों के पानी में डूबने से मौत हो गई थी. इस हादसे ने शिंदे को हिला दिया था लेकिन इसके बाद उनको आनंद दिघे नाम के एक शख्स ने ढाढस बढ़ाया और वे फिर से सक्रिय राजनीति करने लगे. कुछ लोगों की जानकारी में आनंद दिघे का एकनाथ शिंदे के जीवन पर काफी फर्क पड़ा व उनके गुरु की तरह हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि एकनाथ शिंदे उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानते हैं.
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Maharashtra Political Drama : एकनाथ शिंदे पहली बार 2004 में विधानसभा चुनाव जीत कर आए थे. 2006 के करीब में राज ठाकरे शिवसेना से अलग हुए और उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बना ली. इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एकनाथ शिंदे को पार्टी में ज्यादा काम मिला और धीरे-धीरे वे इस परिवार के करीबी हो गए. यह और बात है कि एकनाथ कभी भी राज ठाकरे की भूमिका नहीं निभा पाए लेकिन उन्होंने अपनी एक अलग छवि जरूर बना ली. अब कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस और राकंपा के साथ जाना एकनाथ शिंदे को बिल्कुल पसंद नहीं आया था. वहीं कुछ लोग एकनाथ शिंदे की बगावत को भारतीय जनता पार्टी के खरीद-फरोख्त की राजनीति से जोड़ रहे हैं. वास्तविकता जो भी हो यह तो सच है कि महाराष्ट्र की राजनीति में धूल चाटने वाली भाजपा एक बार फिर से एकनाथ शिंदे के कारण आसमान पर पहुंचने के लिए तैयार है.
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