Nishant Bhuwanika
Mistakes Of Modi : प्रधानमंत्री मोदी को अब देश में सक्रिय राजनीति करते हुए 20 साल हो गए है (8 साल पीएम के तौर पर और 12 साल गुजरात के सीएम के तौर पर). प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल पर एक समय में जरूर मूल्यांकन होगा. उस समय देश के बड़े लेखक पत्रकार और इतिहासकार पीएम मोदी चरित्र चित्रण करेंगे. जब यह होगा तो प्रधानमंत्री द्वारा उठाए गए हर कदमों और उनके राजनीतिक कैरियर पर पूरी विवेचना की जाएगी. उस समय प्रधानमंत्री मोदी की तुलना अन्य पूर्व भर्ती प्रधानमंत्रियों के विदेश दौरे से भी की जाएगी.
इस बात पर शायद आपकी भी सहमति होगी कि प्रधानमंत्री मोदी यहां चूक कर गए हैं. ऐसा हम 2 कारणों से कह रहे हैं यदि आप पीएम मोदी का चश्मा उतार कर इस रिपोर्ट को पढ़ेंगे तो शायद आप भी इस बात से इत्तेफाक रखेंगे. कई मायनों में यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने साध्य के लिए साधनों की परवाह नहीं की. उन कारणों को जानने से पहले ये समझ लीजिए कि हम किन साध्यों की बात कर रहे हैं और क्या साधने का प्रयास किया गया है.
कैसे साध्य और कैसा साधन
PM Modi’s Mistake : किसी भी राजनीति से जुड़े हुए व्यक्ति के लिए सक्रिय रूप से राजनीति करते रहना काफी आवश्यक है. जो व्यक्ति जितने ऊंचे संवैधानिक या फिर राजनीतिक पद पर होता है, वह उतनी ही लालसा से उस पद पर बने रहना चाहता है. इसमें कोई शक नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी इस बात की लालसा नहीं दिखाई कि वे प्रधानमंत्री बने रहना चाहते हैं. हालांकि उन्होंने यह दिखाने की कोशिश जरूरी की है कि देश के हर एक हिंदू व्यक्ति के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार कितनी जरूरी है.
PM Modi’s Mistake : कश्मीर फाइल्स फिल्म को प्रमोट करना हो या फिर समय-समय पर उन जख्मों को कुरेदना जिसमें हिंदू परिवारों को दुख का सामना करना पड़ा था, पीएम मोदी और भाजपा ने बखूबी किया है. स्वाभाविक है कि मौजूदा समय में भाजपा ही क्या देश में प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा नेता कोई नहीं है. ऐसे में अबतक आपको ये तो समझ आ गया होगा कि साध्य क्या थे और साधन क्या… तो अब बात करते हैं पीएम मोदी की दो चूक के बारे में….
पहली चूक – विदेश यात्रा के दौरान…
PM Modi’s Mistake : भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से हमेशा से प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा को खूब अहमियत दी गई. हमेशा पीएम मोदी की विदेश यात्रा के दौरान यह छवि दिखाने की कोशिश की गई कि पीएम मोदी विदेशों में जाकर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं. इस बात को पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता कि विदेशी भूमि पर भारत को अब ज्यादा महत्व दिया जाता है. लेकिन जैसा कि हमने कहा यदि इतिहासकारों की दृष्टि से देखें तो प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कोई ऐसा दूसरा राजनेता नहीं है जो अपने विपक्ष को विदेश में जाकर नीचा दिखाने की कोशिश कर चुका हो.
PM Modi takes jibe at Rajiv Gandhi’s remark that only 15 paise out of every 100 (₹1) reaches beneficiaries — but Modi does not realise his bureaucracy costs even more! So while full ₹ 1 reaches people, ₹100 plus is spent on his vast machinery to deliverhttps://t.co/2g8AprYb27
— Jawhar Sircar (@jawharsircar) May 3, 2022
आपको बर्लिन का पीएम मोदी का स्पीच तो याद होगा जिसमें वे खुलकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का उपहास करते नजर आए थे. अपनी संबोधन से दौरान पीएम मोदी ने विदेशी धरती पर राजीव गांधी के उस बयान का मजाक बनाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं ₹1 भेजता हूं तो जरूरतमंद तक 15 पैसे पहुंचते हैं. यह कोई पहला मौका नहीं है जब यह मोदी ने विदेशी धरती का इस्तेमाल किया हो. पीएम मोदी ने तो खुद की धरती पर भी अबकी बार ट्रंप सरकार के नारे लगवा दिए थे…. किसी दूसरे पूर्वत्तर पीएम का ये कारनामा तो ध्यान में नहीं आता.
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दूसरी चूक-108 का उत्तर 197 से
PM Modi’s Mistake : इस बात से तो शायद ही किसी को शक होगा कि भाजपा सरकार के आने के बाद कट्टरता काफी बढ़ गई है. हां, इसमें कुछ लोगों का मानना यह हो सकता है कि हिंदू जाग गया है. लेकिन यह भी सच है कि देश भर में हिंसा का माहौल जारी है और इस पर प्रधानमंत्री की चुप्पी अपने आप में बड़ा सवाल है. छोटे से छोटे विधानसभा चुनावों के पहले भी देश में कुछ ऐसे मुद्दों को हवा दी जाती है जो जाति और धर्म पर आधारित होते हैं. आप खुद याद करें तो आपको समझ जाएगा कि किस तरह बुर्का और लाउडस्पीकर विवाद को मेन स्ट्रीम मीडिया में जगह दी गई.
Modi has received several letters from Indians and foreigners since past several years…
Hate against minorities: 108 ex-bureaucrats write to PM Modi https://t.co/RPCxlR7Y0A via @IndianExpress— Mariana Baabar (@MarianaBaabar) April 27, 2022
इतने बुरे हालात होने के बाद भी 56 इंच वाले प्रधानमंत्री मोदी दो शब्द इन पर नहीं कह सके. और तो और जब 108 नौकरशाहों ने पीएम मोदी से इस पर अपनी गहरी चुप्पी तोड़ने का निवेदन किया तब भी उन्होंने इस मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया. पीएम मोदी ने अपनी खामोशी तो नहीं लेकिन इसका जवाब देने के लिए 8 पूर्व न्यायधीशों,97 नौकरशाहों और सशस्त्र बल के 92 सरकार के समर्थन का पत्र जरूर साझा किया गया. कुल मिलाकर 108 चिट्ठियों का जवाब 197 से दिया गया.
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