Travancore Royal Family : सोने के खज़ाने और हीरे-जेवरात भारत की समृद्ध संस्कृति का हमेशा से केंद्र रहे हैं. पहले की समय के गहने आज भी देखने के लिए लोग दुनियाभऱ से लोग भारत पहुंचते हैं. राजा- महाराजाओं की इस भूमि को इसलिए तो कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था. ऐसे कई राजवंश होंगे जिनके पास इतना सोना रहा होगा जो पूरे देश की अर्थव्यवस्था को संभाल सकता है. आज हम आपको ऐसे ही एक त्रावणकोर शाही परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में काफी भव्य है. आज भी, देश के सोने के भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रखता है. ये शादी परिवार दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक का स्वामित्व रखता है. त्रावणकोर शाही परिवार ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर कुछ समय के लिए नियंत्रण खो देने के बाद, परिवार ने इसे 2020 में वापस पा लिया. इससे पहले कि हम उनकी कहानी बताएं उसके पहले ये समझना जरूरी है कि इस परिवार का इतिहास क्या है और मंदिर के अधिकार उनसे क्यों छीने गए थे…
Travancore Royal Family : सबसे पहले बता दें कि इस शाही परिवार का क्षेत्र आजादी के पहले हमारे देश (भारत) से अलग था. त्रावणकोर शाही परिवार का एक समृद्ध इतिहास है जो 1800 के दशक से शुरू होता है. 1949 में, त्रावणकोर शाही परिवार ने अपने सभी सत्तारूढ़ अधिकार खो दिए क्योंकि त्रावणकोर को भारत में मिला दिया गया था. जिससे उनके शासकों के किसी भी या हर अधिकार को समाप्त कर दिया गया था. जबकि शुरुआती दौर में उनके पास अभी भी कुछ विशेषाधिकार थे, उन्होंने 1971 तक हर एक अधिकार खो दिये. श्री चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा त्रावणकोर के अंतिम महाराजा थे. जिनकी कोई संतान नहीं थी. उनकी मृत्यु के बाद, उनके छोटे भाई श्री उथराडोम थिरुनल मार्तंडा वर्मा ने नियंत्रण कर लिया. दुर्भाग्य से, उनका भी 2013 में निधन हो गया और महारानी कार्तिका थिरुनल लक्ष्मी बाई के पुत्र श्री मूलम थिरुनल राम वर्मा ने उनका उत्तराधिकारी बना लिया.
Travancore Royal Family : श्री मूलम थिरुनल राम वर्मा त्रावणकोर राज्य के एक नाममात्र के शासक से ज्यादा कुछ नहीं हैं. हालांकि, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का संरक्षक होना त्रावणकोर शाही परिवार के नेता के लिए अपने आप में एक बड़ी बात है.2011 में, भारतीय उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक याचिकाओं के बाद फैसला सुनाया कि त्रावणकोर शाही परिवार को मंदिर के हिरासत के अधिकार को छोड़ देना चाहिए क्योंकि उनके अंतिम शासक, श्री चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा की 1991 में मृत्यु हो गई थी. इस फैसले के 10 साल बाद जुलाई 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने त्रावणकोर शाही परिवार को श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण अपने हाथ में लेने को बरकरार रखा.
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Travancore Royal Family : 2011 में उच्च न्यायालय के फैसले से पहले सदियों पुराने मंदिर के गुंबद खोले गए थे. अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, तिजोरियों में 9,000 किलो सोने का भंडार और हीरे पाए गए. जिनकी कीमत लगभग 20 बिलियन डॉलर (1.4 लाख करोड़ रुपये) थी. त्रावणकोर शाही परिवार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उन्हें श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और इसकी तिजोरी में बैठे भारी सोने के भंडार का असली मालिक बना दिया है.
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