13 मई को राजस्थान में जुटेगा कांग्रेस का कुनबा

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राजस्थान ( Rajasthan) के उदयपुर में 13 से 15 मई के बीच कांग्रेस (Congress) पार्टी का चिंतन शिविर आयोजित होने जा रहा है जिसमे देशभर के कांग्रेसी नेता शिरकत करेंगे. इस चिंतन शिविर के आयोजन को लेकर तैयारियां तेज हो गई है और बताया जा रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) खुद इसकी मोनिटरिंग कर रहे है साथ ही राजस्थान कांग्रेस (Congress) के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी विशेष जिम्मेदारी संभाल रहे है.

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गहलोत का हो सकता है उदयपुर दौरा

तीन दिन तक उदयपुर में चलने वाले इस चिंतन शिविर में लगभग 400 से ज्यादा नेताओ के भाग लेने की संभावना व्यक्त की जा रही है. ऐसे में होटल ताज अरावली को इसके लिए बुक किया गया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस (Congress) की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के रुकने की व्यवस्था इसी होटल में कई जा रही है. साथ ही बाकी नेताओ के लिए भी उदयपुर शहर के अन्य फाइव स्टार होटल्स बुक किये जा रहे है. वैसे तो सूबे के मुखिया अशोक गहलोत खुद जयपुर वैठकर इस आयोजन की तैयारियों पर हर अपडेट ले रहे है लेकिन सम्भावना है कि चिंतन शिविर से पहले अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) खुद उदयपुर जाकर एक बार तैयारियों का जायजा ले सकते है.

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नेताओ को मिलने लगे पीले चावल

राजस्थान (Rajasthan) ही नही बल्कि दिल्ली स्थित कांग्रेस (Congress) के राष्ट्रीय कार्यालय में भी इस आयोजन को बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही है. कांग्रेस (Congress) के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल (Kc Venugopal) खुद इस चिंतन शिविर में शामिल होने वाले नेताओं को निमंत्रण पत्र भेज रहे है.

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शिविर में छह स्तर होंगे हर सत्र के वक्ता हो चुके है तय

तीन दिन तक चलने वाले इस चिंतन शिविर में कुल छह सत्र होने वाले है जिसकी रूपरेखा पार्टी ने पहले से ही तय कर ली है. हर सत्र के अलग अलग वक्ता और अलग अलग विषय होगा. शिविर का पहला सत्र राजनीति पर केंद्रित होगा जिसमें सबसे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे अपने विचार व्यक्त करेंगे.

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चिंतन शिविर के बहाने आदिवासी समीकरण साधने की कोशिश

चूंकि राजस्थान (Rajasthan) सहित गुजरात (Gujarat) मे विधानसभा के चुनाव होने वाले है ऐसे में इस चिंतन शिविर के बहाने कांग्रेस आदिवासी समीरकरण साधने की कोशिश करेगी.क्योकि राजस्थान (Rajasthan) का आदिवासी बहुत यह इलाका गुजरात की सीमा से अगला है और सीमावर्ती इन क्षेत्रो में सांस्कृतिक समानता भी देखने को मिलती है.

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