True Love Story : बॉलीवुड में कई सालों से प्यार और मोहब्बत पर फिल्में बनती आई हैं. प्यार की एक से एक कहानी हमें बड़े पर्दे पर देखने को मिलती है. लेकिन सही मायने में आज की युवा पीढ़ी प्यार को ना तो समझती है और ना ही निभा पाती है. आज हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं इससे साबित होता है कि शादी प्रेम और विवाह जन्म जन्मों का बंधन होता है. यह मामला राजस्थान के अजमेर जिले से आया है जहां एक बुजुर्ग दंपत्ति अपनी मौत के साथ ही प्यार की ऐसी दास्तान लिख गए हैं जो लंबे समय तक याद रखी जाएगी. 3 दिन पहले एक बुजुर्ग दंपत्ति का इंतकाल हो गया जिनमें पति की उम्र 105 वर्ष और पत्नी की उम्र 101 साल थी. दोनों का साथ 80 साल का था.
True Love Story : गांव वालों का कहना है कि दोनों का एक-दूसरे के साथ इस कदर जुड़ाव था कि वह 1 दिन भी अलग नहीं रह सकते थे. इनकी शादी आज से 80 साल पहले हुई थी और तब से यह कभी भी 3 दिन से ज्यादा समय के लिए अलग नहीं हुए. आज इनका भरा पूरा परिवार है और परिवार वालों में दोनों के एक साथ अचानक जाने पर दुखों का पहाड़ टूट गया है. इन दोनों की मृत्यु में सबसे खास बात यह थी कि महज 5 घंटे के अंतराल में दोनों का निधन हो गया. पहले पति ने दुनिया छोड़ी और इसके महज चार से पांच घंटे के अंतराल के बाद पत्नी ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया. यह बात परिवार वालों के साथ ही समाज और अब पूरी देश में फैल गई. लॉग इन दोनों के प्यार को महान बता रहे हैं.
True Love Story : परिवार वालों ने दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया. इसके पीछे परिजनों की सोच थी कि जब यह कभी अलग नहीं हुए तो फिर दुनिया को छोड़ते समय अलग क्यों विदा हों. परिवार के लोगों के साथ ही समाज में भी किसी ने इस बात पर आपत्ति नहीं जताई कि एक चिता पर दो लोगों का दाह संस्कार हो. पति का नाम भैरों सिंह शेखावत और पत्नी का नाम हीरा देवी था और दोनों अपने 70 वर्ष के पुत्र शंकर के साथ रहते थे. उम्र के इस पड़ाव में भी पहुंचकर में ज्यादातर काम खुद ही निपटाया करते थे और दूसरों पर आश्रित नहीं होते थे. परिवार वालों का कहना है कि एक साथ दोनों के जाने का दुख भी है लेकिन इस बात की तसल्ली है दोनों का साथ हमेशा बना रहा.
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True Love Story : माता पिता के निधन पर बेटे शंकर ने दोनों को एक ही चिता को मुखाग्नि दी. इतना ही नहीं परिवार के लोगों ने गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली. दोनों की बैकुंठी को माला और गुब्बारों से सजाया गया. परिवार वालों का कहना था कि हम अपने मां-बाप को कुछ इस तरह विदा करना चाहते हैं कि वे अपने विदाई और अंतिम यात्रा खुशी के साथ पूरा करें. बेटे शंकर ने कहा कि आज के समय में बच्चे अपने मां-बाप को अलग करते हैं लेकिन मैंने सोचा क्यों ना एक ही चिता में दोनों को विदा किया जाए. इससे उस दुनिया में भी दोनों का साथ बना रहेगा.
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