राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति को लेकर अक्सर धारणा है कि यहां तीसरा मोर्चा कभी सफल नही हुआ. भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के अलावा दूसरे राजनीतिक दल अभी तक राजस्थान (Rajasthan) की रसजनीति में जमीन तलाशते ही रहे है पर कभी अपनी जड़ें मजबूत नही जमा पाए. लेकिन अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों में अभी के माहौल को देखकर राजस्थान (Rajasthan) की रसजनीति को समझने वाले जानकारों का मानना है कि इस बार राजस्थान (Rajasthan) का विधानसभा चुनाव बिल्कुल अलग होने वाला है और इस चुनाव से राजस्थान (Rajasthan) में तीसरे मोर्चे की भूमिका बन सकती है क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) सहित ओवेशी भी राजस्थान (Rajasthan)को लेकर अपनी महत्वकांशा जाहिर कर चुके है.एच के व्यास (HK Vyas) उत्तत भारत के पहले ऐसे वामपंथी नेता थे जो चुनकर विधानसभा में पहुंचे और इस तरह से पहली बार उत्तर भारत की किसी विधानसभा में वामपंथी विचारधारा को एंट्री मिली.
वामपंथी राजनीति के लिए राजस्थान रहा बेगाना
राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति में वामपंथ शुरू से हासिये पर ही रहा है यहां तक कि राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति में वामपंथी विचारधारा के नेता भी इक्के दुक्के ही मिलेंगे. वामपंथ विचारधारा ने शुरू से राजस्थान में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश करी है लेकिन कभी सफलता हाथ नही लगी.
लेकिन वामपंथ का खाता राजस्थान में ही खुला
इससे हटकर एक दुसर्स सच यह भी है कि जिस राजस्थान (Rajasthan) में वामपंथ राजनीति शुरू से संघर्ष करती रही है उसी राजस्थान से वामपंथी विचारधारा ने शुरुआत की थी. यह बात आज बहुत लोगो को पता है कि पूरे उत्तर भारत मे विधानसभा में सबसे पहला वामपंथी विधायक राजस्थान (Rajasthan) से था.
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जब जोधपुर में बुलंद हुआ लाल सलाम
1952 के प्रथम आम चुनाव में जोधपुर बी निर्वाचन क्षेत्र से जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह ने शेर ए राजस्थान जयनारायण व्यास को बुरी तरह पटखनी दी लेकिन महाराजा का एक विमान दुर्घटना में निधन हो जाने पर यह सीट खाली हो गई. जब इस सीट पर दुबारा चुनाव हुए तो नतीजों ने सबको चौका दिया और मुख्य चुनाव में सामन्तवादी विचारधारा को रिकॉर्ड मतों से जिताने के बाद इसी निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं ने एक वामपंथी नेता कॉमरेड एक के व्यास (HK Vyas) को चुनकर विधानसभा भेज दिया. श्री एक के व्यास (HK Vyas) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (BKU) के वरिष्ठ नेता थे और उनका जन्म जोधयर में ही हुआ. श्री व्यास लंबे समय तक भाकपा (BKU) के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे.
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