Sex में स्त्री या पुरुष किसे मिलता है चरमसुख…

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रिलेशनशिप डेस्क। Charmsukh during Sex: अक्सर आपके मन भी ये सवाल आता होगा कि जब संभोग की क्रिया संपन्न होती है तो आखिर किसे चरम सुख की प्राप्ति होती है. अक्सर इस बारे में अलग-अलग लोगों के अलग-अलग विचार हैं किसी का मानना है कि स्त्रियों को चरम सुख मिलता है तो किसी का कहना है पुरुषों को. डॉक्टर भी इस बारे में अलग-अलग राय देते हैं इसलिए पुखते तौर पर कुछ भी कह पाना मुश्किल हो जाता है. आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं वह हिंदू धर्म की महाकाव्य महाभारत से लिया गया है जहां की एक घटना के बारे में जानकर आपको इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि आखिर संभोग के बाद परमसुख किसे मिलता है.

Charmsukh during Sex: भीष्म पितामह को अमरता का वरदान प्राप्त था. महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद धर्मराज युधिष्ठिर राजा बने थे. वे अक्सर शासन, राजनीति और अन्य सवालों के साथ पितामह के पास पहुंचते थे ताकि उनका उचित दिशा निर्देश प्राप्त हो सके. ऐसे में एक बार पितामह से बात करते हुए धर्मराज ने पितामह से पूछा था कि संभोग के दौरान स्त्री या पुरुष में से किसको ज्यादा आनंद आता है. यह सवाल सुनने के बाद पितामह शांत हो गए उन्हें कई पीढ़ियों का ज्ञान था लेकिन वह सीधा जवाब नहीं दे सके. थोड़ी देर शांत रहने के बाद पितामह ने युधिष्ठिर को भंगस्वाना की कहानी सुनाई.

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Image Source: Amar Ujala

Charmsukh during Sex: पितामह ने बताया कि प्राचीन समय में भंगस्वाना नाम का एक राजा था. उसके कोई संतान नहीं थी जिसके कारण वह काफी परेशान रहता था. इसके बाद उन्होंने अनुष्ठान किया और उन्हें 100 पुत्र हासिल हुए. लेकिन राजा की ताकत बढ़ती देख स्वर्ग के राजा इंद्र उनसे नाराज हो गए. तब देवराज इंद्र ने एक जंगल में शिकार के दौरान उनकी मति फिरा दी और वे अपनी सेना से अलग हो गए. इसके बाद जब उन्होंने एक सरोवर में अपनी परछाई देखी तो राजा भी चाहिए क्योंकि वह एक स्त्री के रूप में दिखाई दे रहे थे. उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी की अब अपने राज्य में कैसे लौट सकेंगे.

Charmsukh during Sex: राजा अब एक युवती बन चुके थे इसके बाद भी वे भारी पांव अपने राज्य की ओर निकल पड़े. उन्होंने राजमहल पहुंचने के बाद अपने पुत्रों को बुलाकर कहा कि उन्हें नहीं पता क्या हुआ है लेकिन अब आपको ही शासन करना है. इतना कहकर बसीर से जंगल की ओर चल पड़े. युवती बन चुके राजा एक आश्रम में रहने लगे यहां उन्होंने शॉप पुत्रों को जन्म दिया. काफी समय बिताने के बाद एक बार देवराज को उन पर दया आ गई तो वो उनसे मिलने पहुंच गए. देवराज ने उन्हें सारी सच्चाई बताई और कहा कि मैं तुम्हें फिर से पुरुष बना सकता हूं. इस पर राजा तैयार नहीं हुए और उन्होंने कहा कि मुझे संभोग के दौरान एक कि स्त्री के रूप में ज्यादा आनंद आता है इसलिए मैं राजा नहीं करना चाहता. युधिष्ठिर को उनका जवाब मिल चुका था और पितामह की कहानी खत्म हो चुकी थी.

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