हिमाचल में फिर से बढ़ी विधानसभा के चुनाव की हलचल

Himachal Pradesh

देहरादून। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में साल के अंत मे विधान सभा के चुनाव होने वाले है. ऐसे में पंजाब चुनाव में शानदार जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में अपनी जमीन तलाश रही है. हाल ही के कुछ घटनकर्मो से वहां भाजपा (BJP) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) आमने सामने है. आम आदमी पार्टी के तीन बड़े नेताओं को शामिल कर भाजपा (BJP) आप को हाई वाल्ट का झटका दिया था जिसके बाद अब आम आदमी पार्टी ने पलटवार किया है.

आप ने खेला दलित कार्ड

आम आदमी पार्टी से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए तीन बड़े नेताओं के बाद आम आदमी पार्टी को हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में करारा झटका लगा था. शामिल होने वाले नेताओं में हिमाचल प्रदेश के आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के प्रदेशाध्यक्ष भी शामिल थे जिसके बाद हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) नेतृत्वहीन हो गई थी. इस पूरे घटनाक्रम पर आम आदमी पार्टी की तरफ से मनीष सिसोदिया भाजपा पर जमकर हमलावर हुए थे. लेकिन अब तुरंत ही आम आदमी पार्टी ने पलटवार करते हुए हिमाचल के कई दलित नेताओ को आम आदमी पार्टी में शामिल करके भाजपा (BJP) पर बड़ा पलटवार किया है.

 

दलितों के भरोषे आप

माना जा रहा है कि आज दलित नेताओ को शामिल कर आम आदमी पार्टी ने हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बड़ा दलित कार्ड खेल दिया है. क्योकि हिमाचल के जातीय समीकरणों में दलित अहम भूमिका अदा करते है. चुनावो को देखते हुए भाजपा (BJP) भी वहां लगातार दलित समुदाय को मैनेज करने के लिए दलित सम्मेलन आयोजित करवा रही है. ऐसे में भाजपा (BJP) को काउंटर करने के लिए आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का यह बड़ा कदम माना जा रहा है.

कितना असरदार है आप का पंच

आज आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने भाजपा की अनुसूचित जाति जाती मोर्चा के राष्ट्रिय कार्यकारिणी सदस्य हरमेल धीमान को तोड़ कर अपने पाले में कर लिया है लेकिन धीमान हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजनीति में कोई बहुत बड़ा नाम नही है लेकिन दलित समीकरण साधने के लिए धीमान आप के लिए काफी असरदार साबित हो सकते है.

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कहा स्टैंड करते है दलित

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के जातीय समीकरणों को देखे तो वहां की राजनीति पर शुरू से ही सवर्ण जातियों का दबदबा रहा है. हिमाचल की आबादी में पचास प्रतिशत से अधिक सवर्ण जटिया है उनमें से भी सबसे अधिक राजपूतो का वर्चस्व शुरू से ही वहां की राजनीति पर रहा है. ऐसे में दलितों के राजनीतिक उत्थान को मुद्दा बनाकर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) वहां अपनी जमीन को उपजाऊ बना सकती है क्योंकि राजपूतो के बाद वहां सबसे बड़ी आबादी दलितो की है जो 30 प्रतिशत के लगभग है. 68 विधानसभा सीट वाली हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की विधानसभा में 20 सीटें दलितो के लिए रिजर्व है.

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