UP MLC Election : उत्तर प्रदेश में हुए एमएलसी चुनावों में भाजपा ने सपा, बसपा, कांग्रेस का सूपड़ा साफ करते हुए 36 में से 33 सीट पर जीत हासिल कर ली है. केवल तीन सीट ऐसी है जहां भाजपा गच्चा खा गई. इसके साथ ही भाजपा ने विधान परिषद में भी पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है.33 सीट पर जीतने के साथ ही चालीस साल के ऐसा पहली बार हुआ है तब किसी पार्टी को विधान परिषद में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है.इससे पहले कांग्रेस के पास 1982 में पूर्ण बहुमत था.
दो बाहुबली एक बागी के आगे भाजपा गच्चा खा गई
एमएलसी चुनाव में प्रचंड जीत की हर तरफ चर्चा है लेकिन उससे भी अधिक चर्चा उन तीन सीट की है जहां भाजपा को गच्चा खाना पड़ा. जहां सपा,बसपा,कांग्रेस मिलकर भी भाजपा का विजय रथ नही रोक पाए ऐसे में उन तीन लोगों की चर्चा होने लाजमी है जहां उन्होंने भाजपा को गोटी सेट नही होने दी. इन तीन में से दो बाहुबली और एक बागी है जिन्होंने अपने राजनीतिक रसूख के आगे भाजपा को नही टिकने दिया.
ठाकुर साहब ने ठिकाने लगा दिया
UP MLC Election : जिन तीन सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है उनमें से वाराणसी से अन्नपूर्णा सिंह, प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह आजमगढ़ से विक्रांत सिंह ने जीत दर्ज करी है.मजेदार बात यह है कि ये तीनो ही ठाकुर समुदाय से है.
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वाराणसी में बाहुबली ने धागे खोल दिये
सबसे ज्यादा चर्चा वाराणसी सीट की हो रहा है क्योंकि वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के साथ ही भाजपा का गढ़ माना जाता है लेकिन यहां ak माफिया डॉन बाहुबली बृजेश सिंह ने अपनी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह को मैदान में उतारा और भाजपा के सुदामा पटेल अपनी जमानत भी नही बचा पाए.वाराणसी की हार पर एक बार फिर से योगी सरकार पर आरोप लगने लगे है कि प्रदेश में राजपूत बाहुबलियों को फ्री हैंड कर रखा है और सरकार इन बाहुबलियों के आगे इतनी बेबस है कि नाक का सवाल बनी सीटो पर भी मुंह की खानी पड़ी रही है.
भैया जी फिर से उसी फॉर्म में
UP MLC Election : यूपी के एक और बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के राजनीति रसूख के आगे भाजपा से लेकर सपा तक सब पानी भरती नजर आई.यहां से राजा भैया ने अपने रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह गोपाल को एक बार फिर से मैदान में उतारा और हर बार की तरह इस बार भी पांचवी बार अक्षय प्रताप को एमएलसी बनवा दिया.
बगावत के बाद आजमगढ़ में भी खेल हो गया
आजमगढ़ को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने यहां से जीत हासिल की थी और हालही में इस्तीफा दिया है.भाजपा ने यहां यादव समीकरण साधने के लिए भाजपा के पूर्व सांसद रमाकांत यादव के बेटे अरुणवीर को टिकिट दिया तो यशवंत सिंह ने बगावत करके अपने बेटे विक्रांत सिंह को मैदान में उतार दिया और भाजपा सहित सपा को दिन में तारे दिखा दिए.
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