जब जयनारायण बॉलीवुड में जाना चाहते थे

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Rajasthan : 1940 के दशक में राजस्थान में भारी उथल पुथल मची हुई थी। सामंतशाही के जाने की आहट सुनकर राजे रजवाड़ों में घबराहट थी तो प्रजातंत्र के पैरोकारों के हौसले बुलंद थे। किसान आंदोलनों ने राजस्थानी जनता के सामने राजशाही की पोल खोलकर रख दी। हर रियासत में अब प्रजामंडल की स्थापना की मांगे जोर पकड़ने लगी और इस पूरे महौल का सबसे बड़ा अगुवा अगर कोई था तो उसका नाम शेर ए राजस्थान जयनारायण व्यास था.

जयनारायण व्यास (Jai Narayan Vyas) की सामंत विरोधी नीतियों से परेशान होकर उन्हें जोधपुर रियासत से निर्वासित कर दिया गया। उन पर तरह-तरह की पाबंदियां लगा दी गई।पूरी रियासत की पुलिस को यह आदेश दे दिया गया कि किसी भी तरह से जयनारायण व्यास जोधपुर में अपनी गतिविधियों को अंजाम ना दे पाये.

एक एक पैसे को मोहताज हुए जयनारायण व्यास (Jai Narayan Vyas)

रियासत से निर्वासित व्यास को उन दिनों घर से बाहर रहकर बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनकी तंगहाली से वे इतने परेशान हो गए कि एक बार तो उन्होंने सबकुछ छोड़ सिनेमा की दुनिया मे जाने का मन बना लिया। व्यास जी अच्छे कलाकार थे और कविता कहानियों में उनका खूब दिल लगता था। ऐसे में व्यास जी ने बम्बई की फिल्मी दुनिया के लोगो से सम्पर्क साधना शुरू किया.

बीकानेर के महाराजा ने करी मदद

व्यास जी (Jai Narayan Vyas) कि इस हालात का पता जब बीकानेर के महाराजा और उस समय राजशाही के सबसे बड़े पोषक गंगा सिंह को पता चला तो उन्होंने फलौदी के रायसाहब के मार्फ़त व्यास जी को आर्थिक सहायता देने का प्रस्ताव भेजा लेकिन व्यास जी ने इसे स्वीकार नही किया.

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दरअसल व्यास जी (Jai Narayan Vyas) महाराजा गंगा सिंह की के बहुत बड़े विरोधी थे और उनकी नीतियों को कतई पसन्द नही करते थे।व्यास जी ने अखबारों और पत्रिकाओं के माध्यम से गंगा सिंह पर उन दिनों मोर्चा खोला हुआ था और तरह तरह के आरोप गंगा सिंह पर लगा दिए थे.

फिर गंगा सिंह ने लिखा एक पत्र

जब जयनारायण व्यास (Jai Narayan Vyas) गंगा सिंह की आर्थिक सहायता के प्रस्ताव को ठुकरा चुके थे तो महाराजा गंगा सिंह ने जोधपुर रियासत के प्रधानमंत्री सर डोनाल्ड फील्ड को एक पत्र लिखा।परस्पर विरोधी होने के बावजूद भी गंगा सिंह ने उस पत्र में व्यास जी के लिए जो बाते लिखी उन्हें पढ़कर पता लगता है कि गंगा सिंह अपने विरोधियों के लिए भी कितने ऊंचे विचार रखते थे.

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अपने विरोधी के लिए क्या लिखा महाराजा ने

गंगा सिंह ने इस पत्र में लिखा कि जयनारायण व्यास यद्दपि मेरा परम विरोधी और हमारी राजशाही का कटु आलोचक है,लेकिन उसकी सत्यनिष्ठा, देशभक्ति और सिदान्तप्रियता का मैं कायल हूँ।मुझे यह जानकर बुरा लगा कि इन दिनों वह परेशानी के है और सिनेमा की दुनिया मे जाने का विचार कर रहा है।इस सूचना से मेरा हृदय खून के आंसू रो रहा है.

महाराजा गंगा सिंह ने अपने पत्र में खुले मन से यह स्वीकार किया कि आज हम भले ही उसकी परेशानियों से खुश हो ले लेकिन वह दिन दूर नही जब हम यह अनुभव करेंगे कि हमारे हटने के बाद शासन सत्ता संभालने के लिए वह ही सबसे उपयुक्त व्यक्ति होगा। गंगा सिंह ने रियासत के प्रधानमंत्री को यह भी लिखा कि मैं चाहता हूँ कि जयनारायण (Jai Narayan Vyas) के प्रति रियासत उदार रुख अपनाए और उसे जोधपुर आकर काम करने दिया जाए.

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