Pulwama Again : 14 फरवरी 2019 के दिन हुए पुलवामा अटैक ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. इस हमले के कारण पूरे देश में मातम पसर गया था क्योंकि इस दिन भारत माता ने अपने 44 (CRPF जवानों) सपूतों को खोया था. हमला तब हुआ था जब जवानों को बसों के जरिए ड्यूटी के लिए ले जाया जा रहा था. बता दें कि जवानों को इन बेहद संवेदनशील इलाकों में ले जाने के लिए हवाई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई थी. हमले के बाद केंद्र सरकार की नींद आ गई थी और इसके बाद से जवानों को ड्यूटी पर ले जाने के लिए एयर कूरियर सर्विस फिर से बहाल शुरूआत की गई थी.
Pulwama Again : अब इस हमले के बस 3 सालों बाद ही भारत सरकार अपने जवानों को गंवाने का दुख भूल चुकी है. यही कारण है कि केंद्र सरकार ने एक अप्रैल 2022 से एक बार फिर से एयर कूरियर सर्विस बंद कर दिया है. इसका सीधा सा मतलब है कि अब फिर से जवानों को ड्यूटी पर ले जाने के लिए सड़क मार्ग का सहारा लिया जाएगा जो कि खतरे से खाली नहीं है. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि भारत सरकार को स्थिति की भयावहता का अंदाजा नहीं है. सबको पता है कि जम्मू कश्मीर के 300 किलोमीटर के इलाके में आतंकवादी हमले का खतरा हमेशा बना रहता है. ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि जवानों के फर्ज का कर्ज और सरकार कैसे उतार रही है.
Pulwama Again : ऐसा भी नहीं है कि भारत सरकार को इससे कोई बड़ी बचत होने वाली है क्योंकि जवानों को ड्यूटी में भेजने के दौरान रोड ओपनिंग पार्टी लगानी पड़ेगी. कुल मिलाकर देखा जाए तो यह खर्च मोटा मोटी जवानों को हवाई सुविधा देने के बराबर ही बैठ जाएगा. तो फिर यह सोचने वाली बात है कि जब खर्च नहीं बैठेगा तो फिर अपने जवानों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना कितना सही है. यह भी समझना जरूरी है कि कश्मीर में इस माहौल में पहाड़ों से बर्फ पिघलना शुरू हो जाता है. आतंकवादी बेसब्री से समय का इंतजार करते हैं ताकि मौका मिलते ही वे हमला कर सके.
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Pulwama Again : शायद आपको याद नहीं होगा कि 1 जनवरी 2018 में घाटी में तैनात हमारे जवानों के आने जाने के लिए दिल्ली श्रीनगर हवाई सेवा की शुरुआत की गई थी. हालांकि 1 साल के बाद 31 जुलाई 2018 को वित्तीय कारणों से इस सेवा को बंद कर दिया गया. आप सब को भी पता होगा कि फरवरी 2019 में आतंकवादी हमला हो गया. ऐसे में एक बार फिर से भारतीय जवानों को मिलने वाली हवाई सुविधा बंद करना कितना सही है यह तो वक्त ही बताने वाला है. लेकिन इतना जरूर है कि देश के लिए अपना सब कुछ निछावर करने वाले जवानों के प्रति हमारा भी कुछ फर्ज बनता है. क्या भारत सरकार अब इतनी वित्तीय रूप से कमजोर हो चुकी है कि अपना फर्ज आने वाले जवानों का खर्च तक नहीं उठा पा रहे हैं.
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