…तो क्या अब विधानसभा में भतीजे अखिलेश यादव के बगल में बैठेंगे चाचा शिवपाल!

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नई दिल्ली । क्यों भाई चाचा… अरे हां भतीजा… का जोरदार ड्रामा तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में बार-बार देखने को मिल रहा है। समाजवादी पार्टी के मुखीया जी अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव की तनातनी तो किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले भी यही हाल था और अब चुनावों के बाद भी यहीं हाल देखने को मिल रहे हैं। भले ही दोनों चुनावों के दौरान किसी भी मन से साथ दिखाई दिए हो और पार्टी के लिए एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा कर रहे हो, लेकिन अब हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं।

भतीजे की बार-बार अनदेखी…

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले एक-दूसरे के विरूद्ध खड़े चाचा-भतीजा योगी सरकार को प्रदेश से उखाड़ फेंकने के लिए भले ही एक हो गए हो, लेकिन उस दौरान भी दोनों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मनमुटाव की खबरें सामने आई थी और चाचा शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी की ओर से सिर्फ एक ही सीट सौंपी गई। हालांकि, चाचा ने आगे कुछ मिलने की आस में धैर्य बनाए रखा, लेकिन उन्हें क्या पता था। राजनीति भी कोई चीज है। पीएसपी प्रमुख शिवपाल यादव इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट से लगातार छठी बार विधायक निर्वाचित हुए। लेकिन फिर भी झेलनी पड़ी उदासी।

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चाचा शिवपाल ने भी बदला मन और…

विधानसभा चुनाव खत्म हुए और समाजवादी पार्टी को एक बार फिर से करारी हार झेलनी पड़ी। बस यहीं से फिर शुरू हो गया नया ड्रामा। भतीजे अखिलेश ने फिर शुरू कर दी चाचा शिवपाल की अनदेखी। विधायक दल की बैठक में निमंत्रण का इंतजार कर रहे चाचा को कर दिया बाहर। तो चाचा ने भी भतीजे पर लगाए कई आरोप और दिखा दी अपनी नाराजगी। 29 मार्च को भतीजे ने चाचा को बैठक में बुलाया तो चाचा शिवपाल ने बैठक में शामिल होने की जगह भागवत कथा में बिजी होने की बात कह कर बैठक छोड़ दी और 30 मार्च को अकेले ही विधायक पद की शपथ लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी कर डाली। जिसके बाद से तो चाचा के तेवर ही भतीजे के लिए बदल गए और अब तो चाचा शिवपाल भाजपा में ऐसे डूबने लगे हैं कि, नवरात्रि के पहले दिन सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फॉलो करना शुरू कर दिया।

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भतीजे से लेंगे टक्कर, बैठेंगे साथ-साथ

ऐसे में अब चाचा शिवपाल यादव के भाजपा में शामिल होने को लेकर बाजार में चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में तो जोर-शोर से यहीं कहा जा रहा है कि, शिवपाल यादव में एंट्री करने जा रहे हैं और भाजपा भी उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा का डिप्टी स्पीकर बना सकती है। यदि ऐसा हो जाता है तो चाचा-भतीजा अब आमने-सामने नहीं होंगे बल्कि बराबर बैठेंगे। यानि चाचा शिवपाल यादव सदन में भतीजे व नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के नजदीक बैठेंगे।

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तो क्या चाचा छोड़ देंगे समाजवादी पार्टी, मारेंगे भाजपा में एंट्री

यूपी के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों चर्चा है कि, चाचा शिवपाल यादव अब एक नई पारी खेलने जा रहे है और भाजपा का कमल खिलाने की तैयारी में है। अगर शिवपाल समाजवादी पार्टी छोड़ देते हैं तो इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट से शिवपाल यादव के इस्तीफे बाद उस खाली हुई सीट पर उनके बेटे आदित्य यादव को भाजपा प्रत्याशी बनाकर उपचुनाव लड़ा सकती है। ऐसे में माना जा रहा है कि, शिवपाल नया सियासी दांव खेलने वाले हैं।

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