ठाकुरों ने चारपाई में लेट कर तेल ही नहीं लगवाए हैं, बल्कि…

The Thakur Files : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को हमेशा से उनके मुखर स्वभाव के लिए भी जाना जाता रहा है. उन्होंने एक बार वनस्थली विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह के दौरान कहा था कि यदि सभी सामंत रावल नरेन्द्र सिंह जैसे होते तो सामन्तवादी व्यवस्था के उन्मूलन की जरूरत ही नही थी. इसके बाद भी लोगों के जहन में आज भी ठाकुर के रूप में केवल फिल्मों में दिखाए गए ‘ठाकुरों’ (खासकर अमरीश पुरी) वाली ही छवि है. इसके पीछे का कारण भी है क्यों कि बॉलिवुड में लगातार इसी तरह की फिल्में बनी हैं जो ठाकुरोें की ऐसी ही रूपरेखा दर्शाती है. यहीं तो कारण है कि जब आज कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्में आती हैं तो सारे रिकार्ड टूट जाते हैं. ऐसे में हम भी आपको इतिहास के पन्नों से कुछ ऐसी ही सच्चाई दिखाने का प्रयास कर रहे हैं. तो आइए समझते हैं कि आखिर राजेंद्र प्रसाद ने इतनी बड़ी बात ठाकुरों के संबंध में क्यों और कैसे कह दी.

The Thakur Files : ठाकुर साहब के बारे में जानने के लिए आपको उनके जीवन से संबधित एक किस्सा जानना चाहिए. एक बार कंवर साहब का मन जोबनेर के कृषि महाविद्यालय में दाखिला लेकर कृषि विज्ञान की उच्च शिक्षा लेनी चाहिए. परेशानी ये थी कि एडमिशन लेने के लिये पहले मेरिट के फ़ॉर्मूले में फिट बैठना जरूरी था. जब यह बात महाविद्यालय प्रशासन को मालूम चली तो उन्हें बेहद ग्लानि का अनुभव हुआ और बिना वक्त गंवाए कुलपति ने तुरंत एक आपातकालीन मीटिंग बुला ली. विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक स्वर में कहा कि भला कंवर साहब के लिये कैसे नियम और कैसी मेरिट. उनके मन में था कि क्या ठाकुर साहब को हम वह दिन भी दिखाएंगे जब उनके कंवर साहब को मेरिट का इंतजार करना पड़े जबकि होना तो यह चाहिए कि महाविद्यालय खुद ठाकुर साहब की हवेली पर एडमिशन फॉर्म लेकर जाएं.

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The Thakur Files : इसके बाद नियमो में एक बदलाव कर सीट के कोटे में से चार सीट ठाकुर साहब के लिये फिक्स कर दिया गया. इन सीटों पर ठाकुर साहब अपनी अनुसंसा पर चाहे जिसका एडमिशन बिना मेरिट के करवा सकते थे. अब आपको लग रहा होगा कि ठाकुर दबंग थे और उनकी धाक थी… जूता मजबूत था… महाविद्यालय ठाकुर से डरता था. लेकिन कुछ भी मानसिकता बनाने से पहले रूकिए और पूरी जानकारी लेने का प्रयास करें…

The Thakur Files : आजादी के समय में देशभर में एक अलग माहौल था. आजादी की सुबह उठकर गुलामी की हैरानी में करवटें बदल रहा था. दिल्ली से बड़े-बड़े वादे आ रहे थे. गांधी बाबा समेत तमाम नायक सबसे पहले कृषि विकास का राग अलाप रहे थे. पंचवर्षीय योजनाओं का खाका तैयार हो रहा था और तभी ठाकुर ने एक गजब का काम कर दिया. राजस्थान का पहला कृषि महाविद्यालय जोबनेर में बनवा दिया. 750 एकड़ जमीन ठाकुर ने दान करी. देश के नामचीन कृषि विशेषज्ञों का डेरा जोबनेर में डलवा दिया. कश्मीर से कन्याकुमारी तक ठाकुर ने ऐसा कोई भी ख्यातनाम कृषि विशेषज्ञ नही छोडा जिसे ठाकुर जोबनेर नही लेकर आये.

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Image Source : Rajput Association Canada

The Thakur Files : पूरे देश मे इस कृषि महाविद्यालय की धाक हो गई, दूसरे प्रदेशों के छात्र यहां शोध करने को आने लगे. यहां बता दें कि इसके लिए सरकार से उन्होंने फूटी कौड़ी भी नहीं ली. पूरा स्टाफ कॉलेज में नहीं बल्कि ठाकुर की हवेली में ठहरता था. गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप भी हवेली से दी जाती थी. विदेशों से उच्च तकनीक के रसायन और प्रयोगशाला के लिये जरूरी सामान भी हवेली के खर्चे से आये. महाविद्यालय निर्माण के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब हवेली का खजाना खाली हो गया और सरकार से किसी भी तरह की मदद नही मिल रही थी.

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The Thakur Files : 1947 से 1956 तक पूरा ढांचा हवेली के खर्चे से चल रहा था. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उस वक्त ठाकुर साहब ने अपनी पत्नी के गहने बेचकर जरूरतें पूरी करवायीं. उन्होंने कॉलेज के लिये वह सब किया जो किया जा सकता था. परिणाम यह था कि जोबनेर राजपुताना में शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र था. पूर्व उपराष्ट्रपति भैरू सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री इसी जगह से पढ़कर निकले हैं…

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To Be Continued…

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