पेट्रोल लगा रहा है, ‘जीजा और फूफा’ के बीच आग…

ना घर के ना घाट के :

ना घर के ना घाट के : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग की स्थिति में रूस ने भारत को सस्ते दर पर तेल देने का ऑफर किया है. इस ऑफर के तुरंत बाद अमेरिका की ओर से तीखी प्रतिक्रिया भी आ गई है. यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारत और रूस के बीच के व्यापारिक संबंध में अमेरिका ने टांग अड़ाई हो. इसके पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है. बता दें कि अमेरिका से भारत तेल इंपोर्ट कर रहा है और उम्मीद है कि इस साल यह 11% तक बढ़ जाएगा. ऐसे में अमेरिका हरगिज़ नहीं चाहता कि उसके हिस्से का व्यापार रूस के पास जाए. यहीं कारण है कि रूस के द्वारा दिए गए ऑफर पर अमेरिका ने अपनी टांग अड़ाई है.

ना घर के ना घाट के : दूसरी ओर भारत ने अपना बीच का रास्ता अभी भी पकड़ा हुआ है. रूस और यूक्रेन के युद्ध में भारत खुले तौर पर किसी का भी समर्थन करता नहीं दिखता. लेकिन यह भी सच्चाई है कि भारत जानता है अगर इन दोनों की लड़ाई में कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ेगी तो भारत पर कर्ज बढ़ता जाएगा. ऐसा हो भी चुका है पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमत लगातार उफान पर है. यही कारण है कि बढ़ती कीमतों को देखते हुए भारत महंगाई के बढ़ने की आशंका से डरा हुआ है. बता दें कि महंगाई पहले ही आरबीआई के टारगेट से बाहर हो चुकी है जिसका असर इकोनामिक ग्रोथ में भी दिखने वाला है. यही कारण है कि भारत चाहता है कि वह ज्यादा से ज्यादा तेल का भंडारण कर सके. जिससे विपरीत परिस्थितियों में उसकी मदद हो सके.

ना घर के ना घाट के :
Image Source : Atlantic Council

ना घर के ना घाट के : भारत ने अपनी ओर से तो हर संभव प्रयास किया है कि वह रूस के खिलाफ कुछ ना बोले. दूसरी ओर भारत ने इन परिस्थितियों में भी रूस के साथ व्यापार जारी रखा है. यही कारण है कि कुछ पश्चिमी देश मॉस्को के साथ राजनीतिक और सुरक्षा संबंधित रिश्तो के लिए भारत की आलोचना कर रहे हैं. भारत की कूटनीति इस बार कुछ खास काम नहीं कर रही क्योंकि भारत हिंसा खत्म करने की अपील जरूर कर रहा है लेकिन रूस के खिलाफ स्पष्ट तौर पर कुछ भी कहने से बच रहा है. वहीं पश्चिमी देश रूस के साथ इस व्यापार को युद्ध के लिए फंड मुहैया करने का साधन बता रहे हैं. ऐसे में भारत के लिए आने वाले समय में परेशानियां बढ़ सकती है.

ना घर के ना घाट के :
Image Source : CNBC

ना घर के ना घाट के : यह तो सबको पता है कि भारत पेट्रोलियम के लिए इंपोर्ट पर ही निर्भर करता है. भारत अपनी जरूरत का सबसे ज्यादा 23% ऑयल इराक से खरीदता है. इसके बाद सऊदी अरब से 18% और यूएई से 11% की खरीदारी करता है. ऐसे में भारत पश्चिमी एशियाई देशों से सबसे ज्यादा पेट्रोलियम की खरीदारी करता है. अब दुनिया में अमेरिका चौथा सबसे बड़ा सोर्स बनकर उभर रहा है. यही कारण है कि अमेरिका को रूस का यह ऑफर बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है. अमेरिका को डर है कि इससे रूस को फंडिंग भी मिलेगी और इसके साथ ही आने वाले समय में भी उसका व्यापार भारत के साथ कमजोर होगा.

Must Read : पाले थे 800 कुत्ते, सबके अलग कमरे और नौकर… जब संभोग किया तो…

ना घर के ना घाट के :
Image Source : WikiPedia

ना घर के ना घाट के : इधर, आसान शब्दों में समझना चाहे तो भारत की कुल पेट्रोलियम की जरूरत में रूस का दखल कुछ ज्यादा नहीं है. लेकिन यूक्रेन के साथ शुरू हुए युद्ध के हालातों में रूस काफी कम दरों पर तेल की पेशकश भारत के लिए कर रहा है. रूस, अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के असर को कम करने के लिए भारत को या ऑफर दे रहा है. भारत ने कम दरों में पेट्रोलियम देने की इस ऑफर का स्वागत किया है क्योंकि तेलों की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में भारत ज्यादा से ज्यादा पेट्रोल का भंडारण कर खुद को सक्षम बनाने की कोशिश कर रहा है. दूसरी और अमेरिका को इसी बात की तकलीफ है कि उसे भारत के साथ कमजोर व्यापार और उस पर लगाए गए प्रतिबंधों का भी असर होने जैसे दोहरे मार झेलने पड़ रहे हैं.

Must Read : द कश्मीर फाइल्स ने की छप्पड़ फाड़ कमाई,बाहुबली 2 और दंगल भी फैल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Grey Observer