नई दिल्ली। देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) में भाजपा (BJP) ने भले ही विधानसभा चुनाव 2022 में एक बार फिर से अपना परचम भले ही लहरा दिया हो, लेकिन अब उसके सामने यहां मुख्यमंत्री की ताजपोशी को लेकर गंभीर मद्दा खड़ा होता दिख रहा है। ये तो होना ही था क्योंकि, उत्तराखंड (Uttarakhand) के मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) भाजपा (BJP) की इस लहर में भी अपनी सीट को नहीं बचा पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने जीत की खुशी के बीच ये अनचाहा गम भी सेंध मार गया। भाजपा ही नहीं, कांग्रेस को भी ये झटका झेलना पड़ा है। उत्तराखंड में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ, दिग्गज और पूर्व सीएम हरिश रावत भी चुनावों में पराजित हो गए हैं।
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होली के रंग में न पड़े खलल, इसलिए अगले दिन होगी बैठक
उत्तराखंड (Uttarakhand) में मुख्यमंत्री किसको बनाया जाए, इसको लेकर भाजपा (BJP) की दुविधा बढ़ती जा रही है। ऐसे मौकों पर अक्सर ऐसा होता भी है कि, एक मांगों तो हजार सामने आ जाते हैं। ऐसे में अब देवभूमि पर सीएम पद चेहरे को लेर होड़ बढ़ती जा रही है। ऐसे में विधायक दल की बैठक में ही सीएम चेहरे पर चर्चा होगी और फिलहाल सब अभी होली के जश्न में डूबना चाहते हैं किसी चर्चा को लेकर होली की रंगत बिगाड़ना नहीं चाहते। इसलिए विधायक दल की बैठक होली के बाद रखने पर सहमति बनी है।
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सीएम बनने का मौका भला कौन छोड़ना चाहत है… अब तो जल्द लगेगी मुहर
राजनीतिक गलियारों में चल रही खबरों कि माने तो होली के अगले दिन देवभूमि के मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग सकती है। बीजेपी (BJP) के उत्तराखंड (Uttarakhand) पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल बनाए गए हैं जो 19 मार्च को देहरादून जाएंगे। मुख्यमंत्री पद की रेस में एक बार फिर से पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के अलावा धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, रितु खंडूरी, गणेश जोशी समेत कई नामों के शामिल होने की चर्चा है। सीएम बनने का मौका भला कौन छोड़ना चाहत है। ऐसे में सीएम बनने की चाहत में कई नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है।
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धामी के लिए खुद की सीट कुर्बान करने को तैयार कई विधायक
भले ही जनता ने पुष्कर धामी (Pushkar Singh Dhami) की सीट छीन ली हो, लेकिन भाजपा (BJP) के कई विधायक ऐसे भी हैं जो धामी के लिए अपनी सीट कुर्बान करने के लिए तैयार खड़े हैं और धामी को चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं। इस समर्थन से खुद धामी भी अपनी दावेदारी पेश करने लगे हैं। हार को लेकर उन्होंने कहा कि, मैंने कभी किसी पद की मांग नहीं की, मुझे जो पार्टी को फिर से जीत दिलाने की जिम्मेदारी दी गई थी उसे मैंने पूरा करके दिया। हालांकि, अब कोई कुछ भी कहे, आखिरी फैसला तो केंद्रीय आलाकमान को ही करना है।