रामचरितमानस : भारत में भगवान राम और रामचरितमानस क्या मायने रखता है यह किसी से भी छिपा नहीं है. पूरे देश में कई रामायण हैं जो अलग-अलग भाषाओं में कुछ बहुत अंतर के साथ पढ़े जाते हैं. हालांकि पूरे देश में महाकाव्य रामचरितमानस को सभी रामायण में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना 966 दिनों में पूरी की थी इसके लिए उन्होंने अयोध्या, काशी समेत उन तमाम स्थलों का भ्रमण खुद किया था जहां भगवान राम से जुड़े साक्ष्य प्राप्त हुए हैं.
रामचरितमानस : आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी तुलसीदास की रामचरितमानस जो उन्होंने अपने हाथों से लिखी थी वह उनके पैतृक गांव राजापुर में सुरक्षित रखी गई है. आज सैकड़ों साल बाद भी उनकी हस्तलिखित रामचरितमानस आज भी सहज के रखी हुई है. आम लोगों में यह अवधारणा बनी हुई है कि सावन के पवित्र महीने में इसके दर्शन मात्र से लोगों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यही कारण है कि आज भी लोग बड़ी आदर और सद्भाव के साथ तुलसीदास के गांव रामचरितमानस के दर्शन करने दूर दूर से पहुंचते हैं.
रामचरितमानस : इस संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए जब हमने रामचरित्र मानस के सेवक रामाश्रय से बात की तो उन्होंने बताया कि तुलसीदास ने 76 वर्ष की आयु में इसका निर्माण पूरा किया था. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा लिखे गए बाकी सारे कांड तो अब धीरे-धीरे विलुप्त हो चुके हैं बस अयोध्या कांड बचा है जिसे देखने लोग यहां आते हैं. उनके द्वारा लिखा गया इस महाकाव्य के पन्ने अब काफी हिफाजत से रखे जाते हैं.
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तुलसीदास के शिष्य की 11 वीं पीढ़ी
रामचरितमानस : रामाश्रय ने बताया कि वे महर्षि तुलसीदास के शिष्यों की 11 वीं पीढ़ी हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 500 साल से अधिक सालों से उन्होंने और उनके परिवार वालों ने इस महान ग्रंथ की सेवा की है और इसे सुरक्षित रखा है. हालांकि उन्होंने यह कहकर हमें चौंका दिया कि महज 50 सालों में यदि 6 अक्षर बदल जाते हैं तो आप सोचो कि 500 सालों में हिंदी के अक्षरों में कितना बदलाव हो गया होगा. वह बताते हैं कि वे अब इस महाकाव्य को पढ़ पाने वाले आखिरी इंसान हैं.
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