हाल के एक अध्ययन के अनुसार, 25 वर्ष से कम उम्र की चार में से लगभग एक महिला ने अपने ‘अंडरआर्म्स’ को शेव करना बंद कर दिया है. क्वारंटाइन के दौरान, यह संभावना है कि यह संख्या केवल बढ़ रही है, जिसमें कई लोग अधिक लिव-इन लुक को अपना रहे हैं. समाज के महिला सौंदर्य के मानकों में यह लंबे समय से लंबित बदलाव उन महिलाओं के बिना संभव नहीं होता, जिन्होंने पहली बार इसे आगे बढ़ाया.
ओल्ड हॉलीवुड के स्वर्ण युग के दौरान, सोफिया लॉरेन ने कर्व-हगिंग हॉल्टर ड्रेस में खई बार बगल के बालों के बुशल को प्रदर्शित करके धमाकेदार सुंदरता को फिर से परिभाषित किया गया है. जबकि ग्रेस जोन्स की अंडरआर्म फ़ज़ 70 और 80 के दशक में ऐसा कर दिखाया था. जो सच में तारिफ के काबिल है.. समान रूप से कट्टरपंथी सोच के बाद भी इस दशक के दो सबसे बड़े नियम तोड़ने वाले, मैडोना और लिसा बोनेट थे.
लड़की के साथ उस्तरा उछाला बेशक हम अमेरिका की जानेमन जूलिया रॉबर्ट्स का उल्लेख नहीं करना चाहेंगे, जिन्होंने नॉटिंग हिल प्रीमियर में भीड़ का बगल के बालों के साथ अभिवादन किया. 1999 में अंडरआर्म को भी दिखाने के कई मौके आए. इसके साथ लोला किर्के, जिन्होंने 2017 लिया गोल्डन ग्लोब्स रेड कार्पेट विज़िबल, स्वीटहार्ट-नेकलाइन-आसन्न शरीर के बालों के साथ आई थी.
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जब अभिनेत्री और सामाजिक-न्याय कार्यकर्ता अमांडला स्टेनबर्ग ने द हेट यू गिव के यूरोपीय प्रीमियर में अंडरआर्म फ्लफ को स्पोर्ट किया, तो यह एक और शक्तिशाली मानदंड-सवाल वाला क्षण था. यहां, महिलाओं को उन पाखण्डी लोगों पर एक नज़र रखनी चाहिए जो आपसे रेज़र पकड़ने और अपने अंडरआर्म के बालों के साथ प्राकृतिक रूप से जाने की भीख मांगते हैं.
भारत में भी कई महिलाओं ने इसी तरह के फैशन शुरू किए थे, लेकिन उन्हें इस समावेश में सफलता नहीं मिला. उल्टा उन्हें ही ट्रोल किया जाने लगा. सोशल मीडिया में भी कई लोगों ने कहा कि उन्हें बगल के बाल काफी पसंद हैं. हालांकि खुलकर कोई इस बात कर बात नहीं करना चाहता. कोरोना के कारण आया ये बदलाव कितने दिनों तक चलता है ये देखने वाली बात होगी.
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