- बसपा मुखिया जनता के बीच जाने से कर रही परहेज
- मायावती के चुनाव प्रचार ना करने से बसपा उम्मीदवार हैरान, परेशान
- उत्तर प्रदेश सियासत की मुख्य लड़ाई में अब बसपा कहीं नहीं : अजय बोस
लखनऊ | उत्तर प्रदेश में चुनावी शंखनाद हो चुका है. पश्चिम उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर 10 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. इसके चलते तमाम राजनीतिक दल विभिन्न माध्यमों से जनता तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) , समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के नेता कोविड के इस दौर में अलग-अलग माध्यमों से अपनी बात जनता तक पहुंचा रहे हैं. इस लिहाज से 22 जनवरी का दिन सबसे अहम रहा। उस दिन भाजपा के चार दिग्गज नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौजूद थे और उन्होंने अगले 20 दिन के चुनाव प्रचार का एजेंडा तय कर दिया. उसी दिन सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने आईटी सेक्टर में 22 लाख नौकरियां देने का ऐलान कर अपनी मौजूदगी का अहसास करवाया, परन्तु बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती अब भी अपनी मांद (घर) में ही हैं। अपने घर से ही ट्वीट कर कांग्रेस और भाजपा पर आरोप लगा रही हैं. जनता के बीच नहीं जा रही.
1. भय, भ्रष्टाचार, भेदभाव व जान-माल-मजहब की असुरक्षा अर्थात् यूपी की बदतर कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी व लाखों पलायन आदि विशाल आबादी वाले इस राज्य की सबसे बड़ी समस्याएं हैं, जो लगातार बढ़ती ही जा रही हैं एवं लोगों में कुण्ठा पैदा कर रही हैं तथा समाज व प्रदेश पिछड़ रहा है, अति-दुःखद।
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2022
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती ने अभी तक एक भी चुनावी रैली या सभा को संबोधित नहीं किया है. डोर टू डोर चुनाव प्रचार वह करती नहीं हैं. रोड शो करना वह पसंद नहीं करती. ऐसे में जब भाजपा, सपा और कांग्रेस के बड़े नेता अपने घरों से निकल कर जनता के बीच अपनी बात कह रहे हैं तब बसपा मुखिया मायावती के घर से बाहर ना निकले को लेकर बसपा के समर्थक हैरान हैं. उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर क्यों बहनजी (मायावती) चुनाव प्रचार करने के लिए घर से बाहर नहीं निकल रही हैं?
2. यूपी में बीएसपी की रही सरकार में लगभग ढाई लाख गरीब परिवारों को बुनियादी सुविधाएं-युक्त आवास उपलब्ध कराया व करीब 15-20 लाख मकानों की तैयारी चल रही थी, किन्तु सरकार बदलने के कारण यह कार्य अधूरा रह गया, जिसे ही भाजपा भुनाने का प्रयास कर रही है। इन्होंने अपना क्या किया?
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2022
जबकि यह विधान चुनाव पार्टी के लिए बेहद अहम हैं. इन चुनावों से ही बसपा का भविष्य तय होना है. इसके बाद भी मायावती ने अभी तक चुनाव प्रचार करने को लेकर अपनी योजना का खुलासा नहीं किया है. जबकि आगामी 10 फरवरी को पहले चरण में पश्चिम यूपी की 58 सीटों पर मतदान होना है. इन 58 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर हर पार्टी के सभी प्रमुख नेता अपने -अपने तरीके से चुनाव प्रचार करने में जुटे हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डोर टू डोर कैंपेन कर रहे हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी चुनावी सियासत में सक्रिय हैं. ये दोनों नेता लोकलुभावन घोषनाएं कर जनता को अपने साथ जोड़ने के प्रयास में जुटे हैं. परन्तु बसपा मुखिया मायावती ऐसा कुछ नहीं कर रही हैं.
जबकि मायावती ही बसपा की स्टार प्रचारक हैं. उन्हीं के नाम पर पार्टी के उम्मीदवार को वोट मिलता है. फिर भी वह चुनाव प्रचार पर निकलने के बजाए लंबे समय से अपने घर पर प्रेस कांफ्रेंस कर और ट्वीट के जरिए अपनी बात कह रही हैं. गत रविवार और सोमवार को भी उन्होंने यहीं किया.
रविवार को मायावती ने ट्वीट कर कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हालत इतनी ज़्यादा ख़स्ता हाल बनी हुई है कि इनकी सीएम की उम्मीदवार ने कुछ घंटों के भीतर ही अपना स्टैंड बदल डाला है. ऐसे में बेहतर होगा कि लोग कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट खराब ना करें, बल्कि एक तरफा तौर पर बीएसपी को ही वोट दें. जबकि सोमवार को उन्होंने ट्वीट कर यूपी में बढ़ती समस्याओं से चिंता जतायी.
घर से दिए गए मायावती के इन बयानों को मीडिया के अलावा किसी ने महत्व नहीं दिया. बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार मायावती के घर में बैठकर जारी किए जा रहे बयानों से खासे निराशा हैं. इनका कहना है कि कांग्रेस के सीनियर नेता प्रमोद तिवारी लोगों के बीच कह रहे हैं कि चुनावी हार के डर से मायावती अब ध्यान बटाने के लिए इस तरह के फिजूल ट्वीट कर रही हैं.
वास्तव में बसपा पर अब मायावती की पकड़ अब खत्म होती जा रही है. बसपा के अधिकांश विधायकों का अन्य दलों में जाना इसका सबूत. लंबे समय से मायावती के घर से बाहर ना निकले की कारण ही बसपा की यह हालत हुई है. जिसके चलते बसपा का वोट बैंक अन्य दलों में चला गया है. ऐसे में अब मायावती भाजपा के लड़ने के बजाए कांग्रेस से लड़ रही हैं.
बार बार इसलिए वह कांग्रेस पर आरोप लगाती हैं. ताकि यूपी और पंजाब में यह संदेश जाए कि वह सक्रिय हैं. जबकि हकीकत यह है कि बसपा मुखिया मायावती पहले चरण का चुनाव प्रचार करने अभी तक अपने घर के बाहर नहीं निकली हैं. वही अन्य दलों के नेता कोरोना की परवाह किए बिना ही जनता के बीच जा रहे हैं. परन्तु मायावती अपने घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर रही.
बसपा में संसाधनों का अभाव : अजय बोस
मायावती के चुनाव मैदान में न उतरने पर हैरानी जताने वालों में प्रमोद तिवारी अकेले नहीं हैं. मायावती पर किताब लिखने वाले अजय बोस भी कहते हैं कि वर्तमान में यूपी की राजनीति में मायावती मुख्य लड़ाई में कहीं दिखाई नहीं देती. बीते पांच वर्षों में प्रेस नोटऔर ट्वीट के जरिए अपनी मौजूदगी का अहसास कराने जो प्रयास मायावती ने किया, उसके चलते बसपा के वोटर का जुड़ाव पार्टी से कम हुआ है.
ऐसे में अब अगर मायावती घर के बाहर निकल कर चुनाव प्रचार में नहीं जुटी तो पार्टी को नुकसान होगा और उसकी भरपाई कठिन होगी। मायावती यह जानती भी है, पर अब क्या करें? मायावती के सामने लंबे समय तक चुनाव प्रचार करने के लिए नेता तथा संसाधनों का अभाव है. इसलिए वह अभी चुनाव प्रचार से दूर हैं। अब देखना यह है कि बसपा मुखिया कब से चुनाव प्रचार शुरू करती हैं. फ़िलहाल तो उन्होंने पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची रविवार को जारी की है.
इस सूची में मायावती, उनके भाई आनंद कुमार ,सतीश चंद्र मिश्र सहित 18 नाम हैं. इनमे मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा के अलावा किसी अन्य की वोट खींचू इमेज नहीं है. मायावती के भाई ने तो आज तक किसी रैली को संबोधित नहीं किया है.
रही बात सतीश चंद्र मिश्र की तो उन्हें पार्टी का कोई उम्मीदवार चुनाव प्रचार के लिए बताना नहीं चाहता. ऐसे में मायावती बसपा को चुनावी रेस में कितना आगे तक ले जा पाएंगी, यह चुनाव परिणाम से सामने आएगा.